Saturday 29 December 2018

किवाड़ बंद कर दिए है तेरे ही घर के..बस माँ की दुआओ को छोड़ आये है उसी के घर मे..इंतिहा जनून

की है इतनी कि तेरे लिए आज भी अपनी तक़दीर से लड़ते आये है...क्या ख़ुशी क्या गम,हर दिन हर

पल तेरा ही इंतज़ार करते आये है...दिन तेरा होगा मगर आज भी उसी ख्याल मे जीते आये है..लौट

के जाना है आखिर तेरे ही आशियाने मे,माँ की दुआओ के साथ तेरे उसी साथ को आखिरी पलों मे

समेट लेने की कसम रोज़ खाते आये है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...