Wednesday 12 December 2018

काजल इतना ना भरो इन आँखों मे,रात अचानक गहरा जाए गी...लबो को रंग ना दो,खिलने दो इन्हे

कुदरत के इशारो पे....क्यों खोलते हो गेसुओं को,घटा देखो ना..कैसे बरस बरस जाने को है...गुजारिश

है आप के इन कदमो से,पहनो ना पायल..कि धरती पे किसी की मुहब्बत को जुबां मिलने वाली है....

बस अब रोक लीजिये अपनी कातिल मुस्कान को,कि किसी की जान आप के लिए कुर्बान होने वाली है 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...