Friday, 28 December 2018

दिल और दिमाग की जंग मे,ताउम्र दिल की ही सुनते आए..यह दिल जब जब रोया,तब तब खुद

को भी रुलाते आए...नासमझी मे इसी नादान दिल का कहना मान,ज़मीर की धरोधर को बस भूलते

चले गए..जज्बातो को अहमियत देते देते खुद की ज़िंदगी को बर्बाद करते रहे..आज बात कुछ और है

कहा दिल से.आंसुओ की जगह कही नहीं ...और दिमाग की सोच को कहा...तेरा काम है फैसलों को

ज़माने के आगे रखना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...