अर्ध विराम,फिर से अर्ध विराम...अब है पूर्ण विराम....बचा है अब जीवन मे देखने,असली चेहरे असली
नाम....कहाँ किसी ने किस को फांसा,चक्रव्यहू मे किस ने कितना जाल बिछाया...मिठास भरी जिन
बातो मे,कितनी मीठी कितनी तीखी...अंत तक हाथ कौन थामे गा,परख अभी बाक़ी है...ना कुछ लेना
ना अब कुछ देना,मिटते मिटते जंग सारी खुद ही लड़ना..क्यों कि परख अभी भी बाक़ी है...
नाम....कहाँ किसी ने किस को फांसा,चक्रव्यहू मे किस ने कितना जाल बिछाया...मिठास भरी जिन
बातो मे,कितनी मीठी कितनी तीखी...अंत तक हाथ कौन थामे गा,परख अभी बाक़ी है...ना कुछ लेना
ना अब कुछ देना,मिटते मिटते जंग सारी खुद ही लड़ना..क्यों कि परख अभी भी बाक़ी है...