सुर्खियों मे रहे या बिंदास जिए..जिए तो ऐसे जिए जैसे महबूब की हर खवाहिश को मद्देनज़र रख
के जिए..सहज मन से जिए..ना उस के लिए ना इस के लिए,जिए तो अपनी खुद्दारी के लिए ही जिए ..
कोई कहता रहा बुरे है हम,कोई बोला अहंकार से भरे है हम...किसी ने बिठाया सर आँखों पे हमे,तो
कही किसे के शिकवे चलते ही रहे..सच कहे हम ने दो काम किये..साजन की यादो मे जिए और कलम
का साथ लिए सहज मगर बिंदास जिए...
के जिए..सहज मन से जिए..ना उस के लिए ना इस के लिए,जिए तो अपनी खुद्दारी के लिए ही जिए ..
कोई कहता रहा बुरे है हम,कोई बोला अहंकार से भरे है हम...किसी ने बिठाया सर आँखों पे हमे,तो
कही किसे के शिकवे चलते ही रहे..सच कहे हम ने दो काम किये..साजन की यादो मे जिए और कलम
का साथ लिए सहज मगर बिंदास जिए...