Monday, 31 December 2018

सुर्खियों मे रहे या बिंदास जिए..जिए तो ऐसे जिए जैसे महबूब की हर खवाहिश को मद्देनज़र रख

के जिए..सहज मन से जिए..ना उस के लिए ना इस के लिए,जिए तो अपनी खुद्दारी के लिए ही जिए ..

कोई कहता रहा बुरे है हम,कोई बोला अहंकार से भरे है हम...किसी ने बिठाया सर आँखों पे हमे,तो

कही किसे के शिकवे चलते ही रहे..सच कहे हम ने दो काम किये..साजन की यादो मे जिए और कलम

का साथ लिए सहज मगर बिंदास जिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...