Wednesday 12 December 2018

हवाओ से बाते करते करते किस अनजान जगह आ गए है हम...कौन सी नगरी है,जहाँ कदम बस

अचानक से रुक गए है क्यों ...बसेरा है यहाँ बेशक इंसानो का,मगर दगा यहाँ कोई देता नहीं दिलो को

चीर जाने का...यकीं तोडते नहीं यहाँ मासूम रूहों का,पीठ पे वार करते नहीं प्यार करने वालो का....

चेहरे पे मुखोटे लगा कर,इंसा यहाँ घूमा नहीं करते...जो दिलो को छू ले,ऐसी अनजान जगह आ गए

है हम...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...