Thursday 20 December 2018

तेरे पहलू मे हू...यह एहसास अब भी है मुझे...चूड़ियाँ पहनी नहीं कभी,मगर उन की खनक की आवाज़

आज भी आती है मुझे...पायल को संभाल कर रख छोड़ा है तेरे दिए उसी बक्से मे,छम छम की आवाज़

फिर भी सुनाई देती है मुझे...सज़े नहीं सवरे भी नहीं बरसो से,पर आईना जब भी देखती हू तेरा ही अक्स

मेरे चेहरे पे दिखता है मुझे...यह जनून है उस प्यार का या रिश्ता रहा है रूहों का,दुनिया से अलग,सब

से बेखबर जी रहे है तेरी उसी धुन मे मगर...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...