Thursday, 30 August 2018

क्या तुम ने कभी खव्हिशो को दम तोड़ते हुए देखा है...क्या तुम ने सपनो को बिखरते हुए देखा है...

टूट टूट कर जीना क्या होता है,दिल रोता है मगर क्या लबो को मुस्कुराते तुम ने कभी देखा है...

नज़र भर जाती है बात बात पे,मगर  आँखों मे कुछ गिरा है यह कहते कभी तुम ने सुना है...

गर जानते हो यह सब..इस दौर को  कभी भुगता है...यक़ीनन ज़िंदगी को जीने का फलसफा तुम

ने हमी से ही सीखा है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...