Thursday 16 August 2018

खामोशियो मे बजते यह कंगना कह गए प्यार की अधूरी दास्ताँ...झुक के ना उठी जो यह आंखे,बस

बन गई प्यार की खूबसूरत सी सरगोशियाँ....हथेलियों की यह मेहंदी जो लिखवा के लाई है साथ,तेरे

नाम की पहेलियाँ...बजते बजते बज़ उठी हमारे प्यार की,आस पास यह शहनाईयाँ....अधूरी दास्ताँ

अब अधूरी रही कहा..बजे जो कंगना,उठी जो आंखे और मेहँदी भरी यह हथेलियाँ....तेरे नाम का साथ

जो पाया,महक उठी हमारे प्यार की महकती सी यह दास्ताँ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...