Sunday, 5 August 2018

जश्ने-मुहब्बत की रात है,इसे आबाद आज होने दे...कल सुबह किस ने देखी,मुहब्बत को आज ही

परवान चढ़ने दे...ना करना गिला ना करना कोई शिकवा आज मुझ से...धड़क रही है मुहब्बत इस

को पूरी तरह बस धड़कने दे...ना सुन कोई आवाज़, इन सुरमई नैनो को अपने मदहोश नैनो मे

ख़ामोशी से बस जाने दे....जश्ने-मुहब्बत की यह राते बार बार आया नहीं करती...क़बूल कर ले तू

मुझ को,इस रात को आबाद आज होने दे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...