Thursday 9 August 2018

राज़दार है तेरे..तेरे ही दिल मे धड़कते हुए तार है तेरे....दिल की धड़कनो से अक्सर,तेरे जज्बातो को

समझ जाया करते है....तेज़ जो चलती है तो इस की नजाकत को पहचान जाया करते है...झाँकते हो

जो इन आँखों मे मेरी धड़कनो की रफ़्तार मेरे होश उड़ाया करती है...पूछो गे नहीं कि क्यों हम इन

धड़कनो को बारीकी से जान जाते है..राज़ बताए आप को......आप के दिल ने बसेरा डाला है मेरे

दिलो-दरवाजो पे...यह जब जब धड़कता है,मेरे तारो को झकझोर जाया करता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...