Friday 24 August 2018

किरदार मेरी ज़िंदगी के वो ऐसे रहे,ना था कोई रिश्ता ना किसी बंधन मे बंधे...मुलाकातों का दौर ना

ज्यादा रहा ना जुदाई का कभी मौका ही मिला...इबादत मे उसे शामिल तो किया मगर अपने लिए

उसे खुदा से कभी माँगा भी नहीं...तूफान बहुत आए ज़िंदगी मे मगर तूफानों को खुद पे कभी हावी

होने दिया ही नहीं...जब भी मिलते है कभी तो कहते है..''कुछ रिश्तो के नाम कभी कुछ होते ही नहीं''...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...