बरसो से गुमशुदा है मगर, आज तक कोई हमे ढूंढ नहीं पाया...अपने तमाम सवालो के जवाब पाने
चाहे मगर,कोई उन के जवाब आज तक दे नहीं पाया....बर्फीली हवाओ मे बरसो भटकते रहे मगर,
उन से बचाने कोई भी तो नहीं आया..तड़पते तड़पते गुज़ार दी ना जाने कितनी राते,उम्मीद की एक
किरण दिखाने तब भी कोई नहीं आया.. हौसलों को खुद ही बुलंद किया,तलाश मे अपनी खुद ही निकले
..खुद को खुद से ढूंढा और गुमशुदा की इस तलाश को मुकम्मल पाया ...
चाहे मगर,कोई उन के जवाब आज तक दे नहीं पाया....बर्फीली हवाओ मे बरसो भटकते रहे मगर,
उन से बचाने कोई भी तो नहीं आया..तड़पते तड़पते गुज़ार दी ना जाने कितनी राते,उम्मीद की एक
किरण दिखाने तब भी कोई नहीं आया.. हौसलों को खुद ही बुलंद किया,तलाश मे अपनी खुद ही निकले
..खुद को खुद से ढूंढा और गुमशुदा की इस तलाश को मुकम्मल पाया ...