Tuesday 14 August 2018

बेवफाई के नाम पे,मेरे दामन पे हज़ारो दाग़ लगाने वाले...नफरत इतनी दे कर,फिर भी मुहब्बत का

नाम निभाने वाले...आँखों को बेइंतिहा आंसू दे कर,इन्ही आँखों पे ग़ज़ल लिखने वाले...गिनती ही

नहीं तेरे दिए ज़ख्मो की,फिर भी ज़माने को दिखाने के लिए मेरे नाज़ उठाने वाले...दिल को लहूलुहान

कर के मेरे,आशिकी का नज़ाकत भरा गीत सुनाने वाले...दिल की कहाँ सुन पाओ गे,रूह कहती है

मगर...मगरूर इतने ना बनो कि तेरे बिना जीना अब सीख लिया मैंने...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...