जी चाहता है कि खूब सजे..खुद को इतना सँवारे और फिर खुद ही खुद की नज़र उतारे...सोलह
श्रृंगार की हर रस्म निभाए और फिर तेरे ही सीने से लिपट जाए...पायल की उस झंकार से तुझ को
मदहोश कर दे या पहन के बेहिसाब चूड़ियाँ,उस की खनक से तुझ को पागल कर दे...इरादा नेक नहीं
मेरा,इक इशारे से तुझे बस घायल कर दे...चाहते हुए भी कर नहीं सब पाए गे...जानते है मेरी सादगी
भरा रूप ही तुझ को प्यारा है..
श्रृंगार की हर रस्म निभाए और फिर तेरे ही सीने से लिपट जाए...पायल की उस झंकार से तुझ को
मदहोश कर दे या पहन के बेहिसाब चूड़ियाँ,उस की खनक से तुझ को पागल कर दे...इरादा नेक नहीं
मेरा,इक इशारे से तुझे बस घायल कर दे...चाहते हुए भी कर नहीं सब पाए गे...जानते है मेरी सादगी
भरा रूप ही तुझ को प्यारा है..