Monday, 13 August 2018

कभी दिल्लगी तो कभी दिल की लगी...कभी आगबबूला तो कभी आग से भरी...हसरतो का उभारना या

हसरतो का मर जाना...कभी सवाल का जवाब तो कभी खुद एक सवाल बन जाना....कभी रो देना तो

कभी रोते रोते हंस देना...भरी नज़र से देखते रहना फिर अचनाक नज़र फेर लेना...खुदगर्ज़ हो या एक

पहेली..तुझे समझे तो कैसे समझे...कभी प्यार करना कभी तकरार कर के जुदा हो जाना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...