कभी दिल्लगी तो कभी दिल की लगी...कभी आगबबूला तो कभी आग से भरी...हसरतो का उभारना या
हसरतो का मर जाना...कभी सवाल का जवाब तो कभी खुद एक सवाल बन जाना....कभी रो देना तो
कभी रोते रोते हंस देना...भरी नज़र से देखते रहना फिर अचनाक नज़र फेर लेना...खुदगर्ज़ हो या एक
पहेली..तुझे समझे तो कैसे समझे...कभी प्यार करना कभी तकरार कर के जुदा हो जाना...
हसरतो का मर जाना...कभी सवाल का जवाब तो कभी खुद एक सवाल बन जाना....कभी रो देना तो
कभी रोते रोते हंस देना...भरी नज़र से देखते रहना फिर अचनाक नज़र फेर लेना...खुदगर्ज़ हो या एक
पहेली..तुझे समझे तो कैसे समझे...कभी प्यार करना कभी तकरार कर के जुदा हो जाना...