Friday 17 August 2018

सुनने के लिए यह जरुरी तो नहीं कि कुछ कहा ही जाए...दूर तल्क़ यह नज़र भले ना जाए,मगर इन

आँखों से कुछ कभी छिपा ही नहीं...आने की दस्तक को नज़दीक आने के लिए.बेशक वक़्त लग जाए...

मगर यह दिल ही तो है जिस से राज़ कोई छिप पाया ही नहीं..कदम रुक रुक के चले या तेज़ी से,बस

मंज़िल तक पहुंचे इस बात को कोई अभी जान पाया भी तो नहीं.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...