सुनने के लिए यह जरुरी तो नहीं कि कुछ कहा ही जाए...दूर तल्क़ यह नज़र भले ना जाए,मगर इन
आँखों से कुछ कभी छिपा ही नहीं...आने की दस्तक को नज़दीक आने के लिए.बेशक वक़्त लग जाए...
मगर यह दिल ही तो है जिस से राज़ कोई छिप पाया ही नहीं..कदम रुक रुक के चले या तेज़ी से,बस
मंज़िल तक पहुंचे इस बात को कोई अभी जान पाया भी तो नहीं.....
आँखों से कुछ कभी छिपा ही नहीं...आने की दस्तक को नज़दीक आने के लिए.बेशक वक़्त लग जाए...
मगर यह दिल ही तो है जिस से राज़ कोई छिप पाया ही नहीं..कदम रुक रुक के चले या तेज़ी से,बस
मंज़िल तक पहुंचे इस बात को कोई अभी जान पाया भी तो नहीं.....