मुहब्बत को जुबाँ देने के लिए,ख़त का सहारा लिया हम ने...इश्क को बयां करने के लिए,आँखों का
सहारा चुना हम ने...बात समझे वो दिल की मेरी,चूडियो को खनखना जरुरी जाना हम ने...चूक ना
हो जाए कभी भूले से,उन की हर बात को सर आँखों पे बिठाना अपना हक़ माना हम ने...''तुम हो जान
मेरी,मेरी मुहब्बत पाने के लिए कोई जरुरत ही नहीं किसी सहारे की''....उन की इस बात को सुनने के
लिए,अब खामोश ही रहना जरुरी समझा हम ने...
सहारा चुना हम ने...बात समझे वो दिल की मेरी,चूडियो को खनखना जरुरी जाना हम ने...चूक ना
हो जाए कभी भूले से,उन की हर बात को सर आँखों पे बिठाना अपना हक़ माना हम ने...''तुम हो जान
मेरी,मेरी मुहब्बत पाने के लिए कोई जरुरत ही नहीं किसी सहारे की''....उन की इस बात को सुनने के
लिए,अब खामोश ही रहना जरुरी समझा हम ने...