Friday 7 September 2018

मुहब्बत को जुबाँ देने के लिए,ख़त का सहारा लिया हम ने...इश्क को बयां करने के लिए,आँखों का

सहारा चुना हम ने...बात समझे वो दिल की मेरी,चूडियो को खनखना जरुरी जाना हम ने...चूक ना

हो जाए कभी भूले से,उन की हर बात को सर आँखों पे बिठाना अपना हक़ माना हम ने...''तुम हो जान

मेरी,मेरी मुहब्बत पाने के लिए कोई जरुरत ही नहीं किसी सहारे की''....उन की इस बात को सुनने के

लिए,अब खामोश ही रहना जरुरी समझा हम ने...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...