Friday 28 September 2018

नरम गर्म सर्द मौसम आने को है..चल आ घर की दीवारों मे सिमट जाए...हल्का हल्का नशा गुनगुनी

धूप का बस आने को है,आ खुले आंगन मे बिखर जाए...कोई प्यारी सी नज़्म हम आप पे लिख बैठे,

कभी शायराना अंदाज़ से आप हमे देख बैठे...यू तो हज़ारो नगमे सुनाए है इन्ही हवाओ ने...कभी कभी

ख़ामोशी ने भी सुना है तेरे मेरे चर्चो को इत्मीनान से...इंतज़ार फिर से है इस सर्द मौसम का,चल आ

घर की ख़ामोशी पे एक बार फिर तेरा मेरा नाम लिख दे... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...