Sunday 28 February 2016

सवालो की दुनिया मे..वो बेमतलब सा इक जवाब बन गया---खुदगरजी की दौलत को

जो ना समझा..वो दीवाना हमारा कयू कर बन गया--हसरते काबू मे जो रखते..यकीकन

 इस हुसन की सलामी लेते--दिल फेक आशिक ना होते..तो दुआओ मे हमारी शामिल

होते--रूखसत कर दिया उस को खुद से हम ने..अब वफाए जिॅदगी को वो समझे या ना

समझे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...