Thursday, 11 February 2016

इक उदासी जो दिल पे छाई है--बेेवजह किसी की याद आई है--ना नाम था उस रिशते

का--ना मुलाकात ही हो पाई है--दिल को जो टटोला,तो ना कही मुहबबत की कसक आई

है--आॅखो को जो छुआ तो पलको मे नमी आई है--रूह से जो पूछा तो उस ने कहा-यह

तो उस रूह से जुडी तेरी जनमो की तनहाई है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...