Sunday 7 February 2016

दोसतो---मेरी शायरी...पयार..मुहबबत..इबादत..वेदना..विरह..सजदा..कलपना..पूजा..तडप..मिलन..और उन तमाम  रॅगो को बयान करती है...जिसेे सिरफ सचची मुहबबत करने वाले ही समझ पाए गे....मेरी शायरी के हर पनने को इतना सहयोग देने का..तहे दिल से शुकरीया..शुकरीया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...