वो मुहबबत नही..सिरफ इक खुमारी थी---उलझी हुई बातो मे इक उलझी सी बेकरारी
थी..ना खवाबो मे बसी..ना मुहबबत ही बनी..दो बॅूद आॅॅसू जो बन के ढली..वो छोटी सी
इक कहानी थी--भूली हुुई दासताॅ बन कर जो खतम हुई..वो तेरी मेरी बस इक मेहरबानी
थी--ना रूह से जुडी ना साॅसो मे रूकी..बस बन के खता खतम हुई---
थी..ना खवाबो मे बसी..ना मुहबबत ही बनी..दो बॅूद आॅॅसू जो बन के ढली..वो छोटी सी
इक कहानी थी--भूली हुुई दासताॅ बन कर जो खतम हुई..वो तेरी मेरी बस इक मेहरबानी
थी--ना रूह से जुडी ना साॅसो मे रूकी..बस बन के खता खतम हुई---