Friday 5 February 2016

वो नूर है किसी की दुनिया का..पर हम है नूर खुद की ताकत का--नवाबो की जिनदगी

के मालिक है हम..पर इशक की गुसताखियो से बहुत दूर रहतेे है हम---चैन उडा देते है

लाखो की नीॅदो का...पर खुद सकून की नीॅद सोते है---मुहबबत से दूर है आज भी उतना.

पर मुहबबत को लफजो मे ढाल जाते है हम---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...