वो नूर है किसी की दुनिया का..पर हम है नूर खुद की ताकत का--नवाबो की जिनदगी
के मालिक है हम..पर इशक की गुसताखियो से बहुत दूर रहतेे है हम---चैन उडा देते है
लाखो की नीॅदो का...पर खुद सकून की नीॅद सोते है---मुहबबत से दूर है आज भी उतना.
पर मुहबबत को लफजो मे ढाल जाते है हम---
के मालिक है हम..पर इशक की गुसताखियो से बहुत दूर रहतेे है हम---चैन उडा देते है
लाखो की नीॅदो का...पर खुद सकून की नीॅद सोते है---मुहबबत से दूर है आज भी उतना.
पर मुहबबत को लफजो मे ढाल जाते है हम---