Monday 1 February 2016

ना पाया था कभी उस को,फिर भी खो दिया उस को--ना कभी रहा उस की चाहत का

नशा,फिर भी यह दिल कयू उदास हो गया--कया यह रूह का रिशता है,जो बेवजह ही

तडपा गया--कहानी किसमत की जो खुद लिखते,तो हर पननेे पे तेरा ही नाम होता--

अब यह आलम है,कि तेेरा नाम तो किसी पनने पेे नही--फिर भी पूरी किताब तेरी है--


दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...