Tuesday 23 February 2016

वो तेरी सॅगनी .. तेरी किसमत है वो .. तेरी जिॅदगी के हर लमहे की साझेदार है वो .. कोई और तेरी जिॅदगी का हकदार ना हो .. तेरे पयार पे किसी और का पहरा ना हो .. जो दिखता है अकसर वो सच नही होता .. दूर रह कर भी कोई दूर नही होता .. कुछ रिशते बनते है फना होने के लिए .. बिना जाने उन को यू खामोश ना हो .. मजबूर हो कर ही कोई दूर होता है .. साॅसो की जिॅदगी के लिए उस से दूर होता है .. आबाद रहे तू हर लमहे मे .. कि कोई रूह से तेरे नाम को सलाम करता है .. दुआ ही दुआ है बस तेरे लिए .. तेरे साथ तेरे हमसफर को भी रूहे-सलाम करता है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...