Thursday, 30 August 2018

क्या तुम ने कभी खव्हिशो को दम तोड़ते हुए देखा है...क्या तुम ने सपनो को बिखरते हुए देखा है...

टूट टूट कर जीना क्या होता है,दिल रोता है मगर क्या लबो को मुस्कुराते तुम ने कभी देखा है...

नज़र भर जाती है बात बात पे,मगर  आँखों मे कुछ गिरा है यह कहते कभी तुम ने सुना है...

गर जानते हो यह सब..इस दौर को  कभी भुगता है...यक़ीनन ज़िंदगी को जीने का फलसफा तुम

ने हमी से ही सीखा है....

Friday, 24 August 2018

किरदार मेरी ज़िंदगी के वो ऐसे रहे,ना था कोई रिश्ता ना किसी बंधन मे बंधे...मुलाकातों का दौर ना

ज्यादा रहा ना जुदाई का कभी मौका ही मिला...इबादत मे उसे शामिल तो किया मगर अपने लिए

उसे खुदा से कभी माँगा भी नहीं...तूफान बहुत आए ज़िंदगी मे मगर तूफानों को खुद पे कभी हावी

होने दिया ही नहीं...जब भी मिलते है कभी तो कहते है..''कुछ रिश्तो के नाम कभी कुछ होते ही नहीं''...

Thursday, 23 August 2018

दिल तो दिल है...संभाले से कैसे संभल पाए गे...छुई मुई की तरह सिमट जाते है,तेरी हसीन सूरत

का जिक्र जब भी सुन लेते है...हमनवां हम को बनाने के लिए,हवाओ के मीठे झोकों की तरह बहारे

दस्तक देती रहती है...किसी की ज़िंदगी का उजाला बनने के लिए,कितनी आवाज़े हर रोज सुनाई

देती है...मगर एक हम है कि तेरी ही सूरत के कायल है..तेरी इस सूरत से कही जय्दा तेरी सीरत पे

हद से जय्दा क़ुरबा है...
यह मौसम है या हर तरह से तुझ पे फ़िदा होने का नशा...बरसती बूंदो का कमाल है या फिर भीग कर

तेरे नज़दीक आने का गहरा नशा...बहुत गुमान ना कर अपने मगरूर होने का...दौलत के नशे से कही

जय्दा गहरा है मेरी मुहब्बत का यह नशा...बारिश की बूंदो मे जब जब तन और मन भीग जाया करते

है...मुहब्बत की इस आग से दिल तो क्या,जज्बात ही पिघल जाया करते है....
जी चाहता है कि खूब सजे..खुद को इतना सँवारे और फिर खुद ही खुद की नज़र उतारे...सोलह

श्रृंगार की हर रस्म निभाए और फिर तेरे ही सीने से लिपट जाए...पायल की उस झंकार से तुझ को

मदहोश कर दे या पहन के बेहिसाब चूड़ियाँ,उस की खनक से तुझ को पागल कर दे...इरादा नेक नहीं

मेरा,इक इशारे से तुझे बस घायल कर दे...चाहते हुए भी कर नहीं सब पाए गे...जानते है मेरी सादगी

भरा रूप ही तुझ को प्यारा है..

Wednesday, 22 August 2018

दबी जुबाँ से लोग तेरे मेरे नाम के चर्चे करते है...तेरी मेरी गुफ्तगू को मुहब्बत का नाम देते है...

अफवाह ही सही लेकिन चर्चो की वजह से,नाम मेरा तेरा सुर्खियों मे तो है...बेवजह कोई हम पे हँसे

सकून मिलता है कि कोई हमारी वजह से मुस्कुराता तो है...बात की हकीकत को समझे बगैर,लोग

चिंगारी को भी आग दे देते है...यह तो दुनिया है यारा,यहाँ तो लोग मरने वाले की चर्चा उस की

रुखसती के बाद भी करते है...
एक साज़िश के तहत,सब कुछ उलझ गया...जब तल्क़ समझ पाते,तब तक पासा ही पलट गया...

बेजुबान बेशक हो सकते है मगर बेसमझ तो नहीं...हसरतो को कम कर सकते है मगर हसरतो से

भाग सकते तो नहीं...गेसुओं को उलझने दे सकते है मगर गेसुओं को निकल सकते तो नहीं...साज़िशों

का जाल फैला तो इतना फैला कि जब तल्क़ सब सुलझा पाते,पासा ही पलट गया....

Tuesday, 21 August 2018

खनकती हंसी मे खनकता सा सवाल ले कर,नई सुबह की तुझे मुबारकबाद देने आए है...यह ज़िंदगी

बहुत ही हसीन है,इस बात का एहसास तुम को कराने आए है...चेहरे पे शिकायतों का रोना ना रख,कि

तुझ पे  इसी ज़िंदगी की नियामतों का खज़ाना लुटाने आए है...साल ना गिन इस ज़िंदगी के इतने,जो

मिला उसी मे सकून से जी ले,नई महकती सुबह का यही सन्देश तुझे देने आए है...
मुहब्बत का नाम अगर सिर्फ देह से जुड़ा होता,तो दुनिया मे यक़ीनन आज मुहब्बत कायम है...

दौलत रसूख जहा जहा भरे होंगे,तो कहे गे मुहब्बत वहां किश्तों मे कायम होगी...शोहरत कामयाबी

जब जब किस्मत की लकीरो मे जिया करती है...मुहब्बत भी वही साथ पकड़ लिया करती है....किस

ने साथ निभाया ग़ुरबत की चादर मे..जहा साथ सच मे निभाया,यक़ीनन मुहब्बत की सच्चाई सदियों

तक  वहां कायम है...
मुकम्मल ना सही ज़िंदगी पर तेरे नाम के साथ ज़िंदा तो है....बहारे अब कभी लौटे या ना लौटे,उन

बहारों के निशाँ आस पास तो है....सितारों के झुरमुट मे एक सितारा ऐसा भी है,जिसे निहारने के लिए

हम रातो को जगा करते है...निहारते निहारते ना जाने कितनी ग़ज़ल तेरे नाम लिखा करते है...हर 

ग़ज़ल तेरे प्यार की मिठास मे डूबी है...तन्हाई भी इसी मिठास मे मचल कर हज़ारो अफ़साने बयां कर

जाती है..बहुत कुछ है अभी लिखने के लिए,तभी तो अब तल्क़ ज़िंदा है...

Saturday, 18 August 2018

पलकों के यह मोती क्यों आज इन्ही पलकों मे भर आए है...ख़ुशी है आज दिल मे, लेकिन क्यों साथ

साथ याद तेरी भी तो आई है...मुबारकबाद दे कर तुझे,तेरी धरोधर को आज भी अपने आँचल मे

समाए है...दुनिया की बुरी नज़रो से बचा कर,प्यार उसी के कदमो मे बिछाते आए है...समझने

समझाने के लिए बेशक कुछ भी नहीं,लेकिन वो क्या है जिस के लिए हर रोज़ तड़पते आए है...
दुआ से बड़ा तोहफा और क्या होगा...कदम कदम तू जो चले,इन्ही दुआओ के घेरे मे चले..इस से

जय्दा प्यार और क्या होगा...शोहरत की बुलन्दियो पे सब तो नहीं जाते...किसी मोड़ पे खुदा कभी

तुझ को मिल जाए और तुझ से तेरी रज़ा पूछे...मांगना सिर्फ इतना  कि दुनिया मे कोई एक

शख्स ऐसा तो मिले जो रहे दूर मगर मेरी राहो मे फूल बिछाता जाए...
मेहरबाँ मेरे--दे दे जुबान अब तो मुहब्बत को अपनी कि ज़िंदगी के दिन बहुत कम रह गए है--ताउम्र

इंतज़ार करते रहे,अब तो कह दे कि बस तेरे लिए ही जी रहे है हम--मौसम बहारों के बेशुमार निकल

गए इसी आस मे कि यह इंतज़ार अब ख़तम हो जाए गा--बीते साल दर साल,पर तेरी कशिश मे कमी

आज भी ना आई है---सिलवटे चेहरे पे पड़ी तो क्या हुआ,तेरी पाक मुहब्बत का ख्याल अब तक दिल से

गया ही नहीं--मुहब्बत की पाकीज़गी जिस्मो से नहीं हुआ करती,यह वो शै है जो सीधे रूह मे उतर जाया

करती है---

Friday, 17 August 2018

महक इतनी मेरी ज़िंदगी मे ना भर, कि खुद से खुद ही ना मर जाए....दर्द की चादर मे लिपटे है आज

भी इतना,कि तुझे सब बताने के लिए हिम्मत कहाँ से लाए...लबों पे हंसी बहुत जरुरी है,डर है यह

ज़माना एक बार फिर हमे दगा ना दे जाए...महक देने की कोशिश भी ना कर,ऐसा ना हो कि अपने

सहारे चलने की यह आदत दम तोड़ जाए...चलना है अभी उस हद तक जहां कुदरत संभाले हम को 

और हम उस की दुनिया मे ख़ुशी ख़ुशी लौट जाए.....
सुनने के लिए यह जरुरी तो नहीं कि कुछ कहा ही जाए...दूर तल्क़ यह नज़र भले ना जाए,मगर इन

आँखों से कुछ कभी छिपा ही नहीं...आने की दस्तक को नज़दीक आने के लिए.बेशक वक़्त लग जाए...

मगर यह दिल ही तो है जिस से राज़ कोई छिप पाया ही नहीं..कदम रुक रुक के चले या तेज़ी से,बस

मंज़िल तक पहुंचे इस बात को कोई अभी जान पाया भी तो नहीं.....

Thursday, 16 August 2018

खामोशियो मे बजते यह कंगना कह गए प्यार की अधूरी दास्ताँ...झुक के ना उठी जो यह आंखे,बस

बन गई प्यार की खूबसूरत सी सरगोशियाँ....हथेलियों की यह मेहंदी जो लिखवा के लाई है साथ,तेरे

नाम की पहेलियाँ...बजते बजते बज़ उठी हमारे प्यार की,आस पास यह शहनाईयाँ....अधूरी दास्ताँ

अब अधूरी रही कहा..बजे जो कंगना,उठी जो आंखे और मेहँदी भरी यह हथेलियाँ....तेरे नाम का साथ

जो पाया,महक उठी हमारे प्यार की महकती सी यह दास्ताँ....

Tuesday, 14 August 2018

बेवफाई के नाम पे,मेरे दामन पे हज़ारो दाग़ लगाने वाले...नफरत इतनी दे कर,फिर भी मुहब्बत का

नाम निभाने वाले...आँखों को बेइंतिहा आंसू दे कर,इन्ही आँखों पे ग़ज़ल लिखने वाले...गिनती ही

नहीं तेरे दिए ज़ख्मो की,फिर भी ज़माने को दिखाने के लिए मेरे नाज़ उठाने वाले...दिल को लहूलुहान

कर के मेरे,आशिकी का नज़ाकत भरा गीत सुनाने वाले...दिल की कहाँ सुन पाओ गे,रूह कहती है

मगर...मगरूर इतने ना बनो कि तेरे बिना जीना अब सीख लिया मैंने...

Monday, 13 August 2018

कभी दिल्लगी तो कभी दिल की लगी...कभी आगबबूला तो कभी आग से भरी...हसरतो का उभारना या

हसरतो का मर जाना...कभी सवाल का जवाब तो कभी खुद एक सवाल बन जाना....कभी रो देना तो

कभी रोते रोते हंस देना...भरी नज़र से देखते रहना फिर अचनाक नज़र फेर लेना...खुदगर्ज़ हो या एक

पहेली..तुझे समझे तो कैसे समझे...कभी प्यार करना कभी तकरार कर के जुदा हो जाना...

Thursday, 9 August 2018

आप तो आप है...खास नहीं बहुत खास है....तहजीब से बात करने की यह अदा,बात बात पे शुक्राना

करने की अदा...हम ठीक है फिर भी हमारा हाल जानने की वजह...पलके कभी नम जो हो गई,अपनी

ही पलकों पे बिठाने की अलग-अंदाज़े वजह....लोग कहते है,धरती पे भगवान् नहीं आते...आप को

देखा और लगा ऐसे फ़रिश्ते हुआ करते है ऐसे...बिना वजह जो ख़ुशी दे जाए..छोटी छोटी बातो पे जो

हंसा जाए...तभी तो हम ने कहा कि आप तो बस आप है...खास नहीं बहुत खास है...
राज़दार है तेरे..तेरे ही दिल मे धड़कते हुए तार है तेरे....दिल की धड़कनो से अक्सर,तेरे जज्बातो को

समझ जाया करते है....तेज़ जो चलती है तो इस की नजाकत को पहचान जाया करते है...झाँकते हो

जो इन आँखों मे मेरी धड़कनो की रफ़्तार मेरे होश उड़ाया करती है...पूछो गे नहीं कि क्यों हम इन

धड़कनो को बारीकी से जान जाते है..राज़ बताए आप को......आप के दिल ने बसेरा डाला है मेरे

दिलो-दरवाजो पे...यह जब जब धड़कता है,मेरे तारो को झकझोर जाया करता है...

Tuesday, 7 August 2018

कहाँ कहाँ ढूंढा तुझ को,पर तेरी कोई खबर ही नहीं...थक रहे है चलते चलते,खुद की कोई होश ही नहीं..

शहर शहर और गली गली,हर दरवाजे पे दस्तक दी...कहाँ होगा तेरा ठिकाना,अब तो खुद पे जोर नहीं..

पावों के छालों ने लिख दी सड़क सड़क तेरी मेरी कहानी...हर दीवार पे लिखते जा रहे है तेरे नाम की

छोटी छोटी निशानी...शायद...शायद कभी इन्ही राहों से भूले से कभी तू गुजरे,हर सड़क पे लिखी तू

देखे तेरी मेरी वही कहानी....

Sunday, 5 August 2018

जश्ने-मुहब्बत की रात है,इसे आबाद आज होने दे...कल सुबह किस ने देखी,मुहब्बत को आज ही

परवान चढ़ने दे...ना करना गिला ना करना कोई शिकवा आज मुझ से...धड़क रही है मुहब्बत इस

को पूरी तरह बस धड़कने दे...ना सुन कोई आवाज़, इन सुरमई नैनो को अपने मदहोश नैनो मे

ख़ामोशी से बस जाने दे....जश्ने-मुहब्बत की यह राते बार बार आया नहीं करती...क़बूल कर ले तू

मुझ को,इस रात को आबाद आज होने दे...
अपने ही दिल मे,अपनी तस्वीर बसाई और खुद से प्यार कर बैठे...चाहा तो फिर खुद को इतना चाहा कि

सारा जहाँ पीछे छोड़ बैठे...कभी सजाया खुद को इतना,कभी संवारा बार बार इतना...आईना आया जो

सामने,छवि अपनी को ही सलाम कर बैठे...खुशामद अपने रूप की,की  हम ने,कभी सलामी अपने हुनर 

को दी हम ने...अब ज़माना लाख पुकारे लौट के ना आए गे,इतनी शिद्दत से खुद को चाहा है,पूछते है

क्या हमारे लिए,खुद के दस्तूर छोड़ पाओ गे ...
बरसो से गुमशुदा है मगर, आज तक कोई हमे ढूंढ नहीं पाया...अपने तमाम सवालो के जवाब पाने

चाहे मगर,कोई उन के जवाब आज तक दे नहीं पाया....बर्फीली हवाओ मे बरसो भटकते रहे मगर,

उन से बचाने कोई भी तो नहीं आया..तड़पते तड़पते गुज़ार दी ना जाने कितनी राते,उम्मीद की एक

किरण दिखाने तब भी कोई नहीं आया.. हौसलों को खुद ही बुलंद किया,तलाश मे अपनी खुद ही निकले

..खुद को खुद से ढूंढा और गुमशुदा की इस तलाश को मुकम्मल पाया ...

Friday, 3 August 2018

कुछ कहने के लिए जब यह होंठ खुले,मन की उलझन को बताने के लिए जुबाँ ने जब भी शब्द चुने ..

वक़्त निकल गया तो कुछ भी मुनासिब ना हो पाए गा...यह सोच कर शर्म के दरवाजे तोड़ दिए...

ज़िंदगी बहुत लम्बी है,पर राज़ की चादर बहुत गहरी है...बता कर उन से खुद ही दूर चले जाए गे..

फिर लौट कर उन के दरवाजे पे दस्तक भी ना देने आए गे...प्यार को ना बांध ऊंच-नीच के धागो मे..

दिल जब एक है तो छोड़ दे बेकार के रिवाजो को...झरने की तरह बही सारी उलझन,प्यार ने चुनी

प्यार की दौलत...

Thursday, 2 August 2018

धड़कनो की सुनी तो तेरा फ़साना याद आया...कुछ भूली-बिसरी बातो का वो जमाना याद आया...गली

के मोड़ पर इंतज़ार मेरा करना,मुझे देखते ही अनजान बनने की कोशिश करना...नजदीक से गुजरने

पर कागज़ का टुकड़ा फेक देना और माफ़ी मांग कर बेवजह मुस्कुरा देना...कुछ कहने के लिए कभी

आँखों का तो कभी पलकों का यू ही झुका देना...उम्र भर का साथ मांग कर,उम्र भर मेरे साथ मेरी ही

दुनिया मे बस जाना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...