Sunday 9 April 2017

रोने के लिए आज वक़्त नहीं है मेरे पास.....तेरे ही दिन पे,तेरे लिए सवरने के लिए बस बेताब है हम

कोई क्या कहता है..कोई क्या कहे गा-इस से परे तेरी ही दुनिया मे शिरकत करने को तैयार हो रहे है

हम--रूह मेरी मुकम्मल तो तभी होगी,जब तेरी रूह सज़दा करे गी मेरे हुसने-यार के आस पास--ना

छेड़ मेरी उन्ही धडकनो के तार,जिन्हे छुआ था तूने पहली पहली बार--तेरा वही अहसास आज भी है

मेरे दिलो-दिमाग के बहुत ही पास..बहुत ही पास---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...