Wednesday 12 April 2017

ज़मी पे पाँव धरे या आसमाँ मे कही खो जाए---तेरी मौजूदगी के एहसास भर से ही,हम सुबह से ही है

महके महके..फूलो से खिले----क्या लेना क्या देना इस दुनिया से,महफूज़ है तेरे ही साथ..तेरे रिश्ते के

तले---तेरी यह दुल्हन आज भी वैसी ही है..सब कुछ वैसा ही है...सब कुछ बदला भी है----तेरी ही रूह मे

आज भी वैसे ही समाए है..बदला है तो इस दुनिया का रूप...जो ऊपर से कुछ और तो अंदर से हम्हे पूरी

तरह बर्बाद करते आए है--शायद दिल ही दिल मे तेरी दुल्हन को कमज़ोर समझते आए है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...