तन्हाईयाँ रास नहीं आई हम को...घुटन ने दबोचा और खामोशिया टकरा गई---तेरी तलाश मे जो
निकले,खुली वादियां मुखातिब हो गई---सिर्फ तेरे अहसास से सांसे खुलने लगी,गेसुओं को जो खोला
घटाएं बरसने लगी---सूखे होठो मे नमी क्यों आने लगी,चेहरा जो छुआ मखमली चादर जैसे बुलाने
लगी---मिलते मिलते आखिर मिल ही जाओ गे,आए है तन्हाइयो को मिटाने के लिए..हुआ ऐसा क्यों
की ज़िन्दगी ज़िन्दगी से बस टकरा गई---
निकले,खुली वादियां मुखातिब हो गई---सिर्फ तेरे अहसास से सांसे खुलने लगी,गेसुओं को जो खोला
घटाएं बरसने लगी---सूखे होठो मे नमी क्यों आने लगी,चेहरा जो छुआ मखमली चादर जैसे बुलाने
लगी---मिलते मिलते आखिर मिल ही जाओ गे,आए है तन्हाइयो को मिटाने के लिए..हुआ ऐसा क्यों
की ज़िन्दगी ज़िन्दगी से बस टकरा गई---