Monday 10 April 2017

यह भोर सुबह की कहती है..हर नियामत होगी तेरी---हर उलझन सुलझे गी..दर्द की दवा हाज़िर होगी

झुक जा खुदा के सज़दे मे..दे खुद को उस के चरणों मे--यहाँ कोई नहीं तेरा..बेगानो की दुनिया सारी है

न निभा कोई रसम-रिवाज़..ना खौफ रख दिल के खाने मे ज़रा---ना मांग खुदा से दौलत के भंडार......

बस रह हर पल उस का शुक्रगुज़ार..छोड़ के साँसों के बंधन,एक दिन उड़ जाए गा--रह जाए गी बस यादे

और तू हर शै से आज़ाद हो जाए गा---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...