हज़ारो हाथ उठते है दुआ के लिए...इंसान मुक्कमल होता है---दौलत से नहीं,शोहरत से भी नहीं...आँखों
की नमी से ज़िंदगियाँ रोशन होती है---कुछ रिश्तो के कुछ भी नाम नहीं होते लेकिन,वो ज़िन्दगी को
सकून देते है---दिल जहा रहे ख़ुशी से भरा,रूह इत्मीनान से हवा लेती है---ज़िन्दगी नाम तो है बस जीने
का,रंक रहे या कोई राजा बने---किस्मत की लकीरो के जो साथ चले,वही इंसान मुक्कमल होता है----
की नमी से ज़िंदगियाँ रोशन होती है---कुछ रिश्तो के कुछ भी नाम नहीं होते लेकिन,वो ज़िन्दगी को
सकून देते है---दिल जहा रहे ख़ुशी से भरा,रूह इत्मीनान से हवा लेती है---ज़िन्दगी नाम तो है बस जीने
का,रंक रहे या कोई राजा बने---किस्मत की लकीरो के जो साथ चले,वही इंसान मुक्कमल होता है----