Friday 7 April 2017

ना छेड़ साज़ ज़िन्दगी के मेरे,अपनी ज़िन्दगी को ही भूल जाए गा--ना कर अटखेलिया ज़ुल्फो से मेरी,

तेरा ईमान डोल जाए गा---साँसों की खुशबू मे खोने से पहले,साँसे अपनी तू कैसे ले पाए गा--मेरी जान

मे अटकी है जान तेरी,यह सोच कर तू अब किसी और का भी ना हो पाए गा--रूबरू हो जा मेरी ही रूह से

ज़रा,लाज़मी है कि अपनी ही रूह को यक़ीनन भूल जाए गा---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...