Thursday 13 April 2017

मेरे जिस्म से फूलो की महक आती है,जब तेरी रूह मेरी रूह मे समां जाती है---प्यार के धागो मे तेरे

इश्क की रज़ा होती है,तभी तो मेरे हुस्न पे नूर की चमक होती है---लोग मुझे शहज़ादी का ख़िताब देते

है,नहीं जानते कि मेरे हुस्न की चर्चा तेरी बदौलत ही होती है---बांध के रखना मेरे रूप की चांदनी को

कि तेरे बगैर मेरी हर शाम जुदा होती है----





दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...