मेरे जिस्म से फूलो की महक आती है,जब तेरी रूह मेरी रूह मे समां जाती है---प्यार के धागो मे तेरे
इश्क की रज़ा होती है,तभी तो मेरे हुस्न पे नूर की चमक होती है---लोग मुझे शहज़ादी का ख़िताब देते
है,नहीं जानते कि मेरे हुस्न की चर्चा तेरी बदौलत ही होती है---बांध के रखना मेरे रूप की चांदनी को
कि तेरे बगैर मेरी हर शाम जुदा होती है----
इश्क की रज़ा होती है,तभी तो मेरे हुस्न पे नूर की चमक होती है---लोग मुझे शहज़ादी का ख़िताब देते
है,नहीं जानते कि मेरे हुस्न की चर्चा तेरी बदौलत ही होती है---बांध के रखना मेरे रूप की चांदनी को
कि तेरे बगैर मेरी हर शाम जुदा होती है----