क्या कुछ ऐसा था जो मुझे सुनाई नहीं दिया...कुछ ऐसा अनदेखा जो इन आँखों से छुप सा गया...
क्या कहा उस ने कुछ खास ऐसा,जो मैंने सुन कर भी अनसुना करा....धक् धक् धड़कनो की वो आवाज़
जो मेरे दिल तक पहुंचते पहुंचते रुक क्यों गई....नज़र अचनाक उस की ऐसे भर आई,पर मेरी नज़र
कही और थम क्यों गई....बेसाख्ता उडी इश्क की वो आँधी,मेरे हुस्न को मुझ से चुरा कर उस की और
क्यों ले चली...
क्या कहा उस ने कुछ खास ऐसा,जो मैंने सुन कर भी अनसुना करा....धक् धक् धड़कनो की वो आवाज़
जो मेरे दिल तक पहुंचते पहुंचते रुक क्यों गई....नज़र अचनाक उस की ऐसे भर आई,पर मेरी नज़र
कही और थम क्यों गई....बेसाख्ता उडी इश्क की वो आँधी,मेरे हुस्न को मुझ से चुरा कर उस की और
क्यों ले चली...