Wednesday 23 May 2018

गवाही दे रहे है आज भी वो नज़ारे,तेरे संग बिताए हसीन लम्हे उन्ही हसीन वादियों के लिए...फुर्सत

मिले तो लौट आना मेरे गेसुओं मे वोहि कातिल शाम गुज़ारने के लिए...खामोश लबो पे वो अफ़साने

बार बार दोहराया नहीं करते...ज़िंदगी जो मिले कभी दुबारा उस को यू जाया नहीं करते...गुजारिश है

तुझ से आज भी,वो तेरे साथ के लम्हे फिर से लौटा दे मुझे...गवाही देने के लिए यह दिल बेचैन है,तुझे

नज़दीक से देखने के लिए....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...