तू टूट के चाह मुझ को,यह शर्त मैंने कभी रखी ही नहीं...मेरे सिवा तू किसी और का हो,इस बंदिश के
तले तुझे कभी बांधा भी तो नहीं..रिश्ते मे मुझे अपना बना,यह सवाल पहले ही दिन से कभी उठाया ही
नहीं...दौलत के ख़ज़ाने बस मुझ पे लुटा,इस के माक़िफ़ कोई ख्याल मेरे ज़ेहन मे कभी आया तक भी
नहीं...हा.. बस अपनी पाक मुहब्बत से मेरी रूह को रंग दे,इस के सिवा और कुछ तुझ से चाहा ही नहीं...
तले तुझे कभी बांधा भी तो नहीं..रिश्ते मे मुझे अपना बना,यह सवाल पहले ही दिन से कभी उठाया ही
नहीं...दौलत के ख़ज़ाने बस मुझ पे लुटा,इस के माक़िफ़ कोई ख्याल मेरे ज़ेहन मे कभी आया तक भी
नहीं...हा.. बस अपनी पाक मुहब्बत से मेरी रूह को रंग दे,इस के सिवा और कुछ तुझ से चाहा ही नहीं...