Monday 28 May 2018

तू टूट के चाह मुझ को,यह शर्त मैंने कभी रखी ही नहीं...मेरे सिवा तू किसी और का हो,इस बंदिश के

तले तुझे कभी बांधा भी तो नहीं..रिश्ते मे मुझे अपना बना,यह सवाल पहले ही दिन से कभी उठाया ही

नहीं...दौलत के ख़ज़ाने बस मुझ पे लुटा,इस के माक़िफ़ कोई ख्याल मेरे ज़ेहन मे कभी आया तक भी

नहीं...हा.. बस अपनी पाक मुहब्बत से मेरी रूह को रंग दे,इस के सिवा और कुछ तुझ से चाहा ही नहीं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...