Monday 14 May 2018

यह कौन सी ख़ुशी है,जिस ने आज ज़िंदगी के नाज़ उठाने पे मजबूर कर दिया....यह कैसा एहसास

हुआ है,जिस ने मुस्कुराने का हक़ दे दिया....टूटन होती है क्या,दर्द होता है कहाँ..बात बात पे आँखों

को भिगोने वाली उन काली रातो को हमारे जीवन से बस दूर कर दिया.....तारे टिमटिमाते है रोज़

चाँद भी हर रात निकलता था,क्यों आज इसी चाँद मे हम को नायाब प्यार मिल गया....पूछ रहे है

खुद से बार बार,क्या हुआ आज ऐसा,कि इस ज़िंदगी से प्यार हो गया....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...