Thursday 17 May 2018

अश्को को दफना दिया दिल के दरीचे मे इस कदर कि दुनिया सिर्फ चमक देखे इन आँखों के तहत .....

यादो को समेटा फिर से इन पन्नो के तले कि तेज़ अँधियाँ ना उड़ा ले कोई इन की परत...खुल के

मुस्कुरा दिए ऐसे कि ना पढ़ पाए कोई इस चेहरे की कोई शिकन....थक गए है कितना वक़्त की इन

बदगुमानियों से फिर भी जज्बात बिखरते है उन की शानो-शौकत मे...लब अचानक से थरथराते है

मगर यह अल्फ़ाज़ है कि जुबाँ से आगे निकलते ही नहीं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...