अश्को को दफना दिया दिल के दरीचे मे इस कदर कि दुनिया सिर्फ चमक देखे इन आँखों के तहत .....
यादो को समेटा फिर से इन पन्नो के तले कि तेज़ अँधियाँ ना उड़ा ले कोई इन की परत...खुल के
मुस्कुरा दिए ऐसे कि ना पढ़ पाए कोई इस चेहरे की कोई शिकन....थक गए है कितना वक़्त की इन
बदगुमानियों से फिर भी जज्बात बिखरते है उन की शानो-शौकत मे...लब अचानक से थरथराते है
मगर यह अल्फ़ाज़ है कि जुबाँ से आगे निकलते ही नहीं...
यादो को समेटा फिर से इन पन्नो के तले कि तेज़ अँधियाँ ना उड़ा ले कोई इन की परत...खुल के
मुस्कुरा दिए ऐसे कि ना पढ़ पाए कोई इस चेहरे की कोई शिकन....थक गए है कितना वक़्त की इन
बदगुमानियों से फिर भी जज्बात बिखरते है उन की शानो-शौकत मे...लब अचानक से थरथराते है
मगर यह अल्फ़ाज़ है कि जुबाँ से आगे निकलते ही नहीं...