Friday 25 May 2018

क्षितिज के उस पार समंदर को देखा....ठहरा ठहरा  सकून से भरा भरा....लहरों ने कितना सताया

उस को,हद से जयदा उत्पात मचाया कितना...मौसम की वो तूफानी गर्मी,तूफ़ानो की कितनी

भारी हलचल...कभी चाँद ने रात भर सींचा उस को कभी सूरज ने किरणों को बरसाया उस पर...

फिर इक लम्हा आया ऐसा,थक कर टूटे बारी बारी...पर समंदर फिर भी वैसा...ठहरा ठहरा..उसी

सकून का राजा राजा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...