Wednesday 9 May 2018

ना कीजिये नज़रो से यह शरारती गुस्ताखियाँ,दिल हमारा मचलने पे आमादा हो जाए गा...दूर रह

कर बात कीजिए,खलल मत डालिये अपनी गुफ्तगू से हमारे सवालिया गेसुओं पे....यह जो बिखरे

तो रात गहरा जाए गी,हमारी पलकों के शामियाने पे कितने सवाल उठा जाए गी..इन नरम कलाइओ

को ना मजबूर कीजिए खुद की बाहों मे आने के लिए,सोच लीजिए यह जिस्म यह जान फ़ना हो जाने

पे आमादा हो जाए गा....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...