ना कीजिये नज़रो से यह शरारती गुस्ताखियाँ,दिल हमारा मचलने पे आमादा हो जाए गा...दूर रह
कर बात कीजिए,खलल मत डालिये अपनी गुफ्तगू से हमारे सवालिया गेसुओं पे....यह जो बिखरे
तो रात गहरा जाए गी,हमारी पलकों के शामियाने पे कितने सवाल उठा जाए गी..इन नरम कलाइओ
को ना मजबूर कीजिए खुद की बाहों मे आने के लिए,सोच लीजिए यह जिस्म यह जान फ़ना हो जाने
पे आमादा हो जाए गा....
कर बात कीजिए,खलल मत डालिये अपनी गुफ्तगू से हमारे सवालिया गेसुओं पे....यह जो बिखरे
तो रात गहरा जाए गी,हमारी पलकों के शामियाने पे कितने सवाल उठा जाए गी..इन नरम कलाइओ
को ना मजबूर कीजिए खुद की बाहों मे आने के लिए,सोच लीजिए यह जिस्म यह जान फ़ना हो जाने
पे आमादा हो जाए गा....