Sunday 27 May 2018

ताउम्र इंतज़ार करे गे तेरे लौट आने का...उसी घर को आबाद करे गे तेरे कदमो के चले आने का...

हर दीवार सजे गी,हर दरवाज़ा दस्तक दे गा तेरे साथ के आ जाने का....फूल महके गे,कलियाँ

गुनगुनाएं गी..बेसाख्ता एक हसी की लहर लौट आए गी तेरे आने से...करिश्मे होते है ऐसा सुना है

मैंने,करिश्मो को देखना है अपनी ज़िंदगी के होते होते...बुझ जाए वो उम्मीद नहीं होती,छोटी सी

चिंगारी से दीया जल जाए,वो हो जाए गा तेरे आने से....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...