किस रंग मे रंगी हो,जो इतनी भली सी लगती हो...किस रूप मे ढली हो,जो अलग सी दिखती हो...
इस लहजे को मुबारकबाद कहू या इन्ही लफ्ज़ो पे फ़िदा हो जाऊ....निखारा है रूप किस ज़न्नत की
परी ने आ कर,या खुदा ने फुर्सत से बनाया है तुम को....कोई नाज़ नहीं कोई नखरा भी नहीं,शर्म से
झुकती यह आंखे कह रही है बाते कई....जवाब बस एक रहा....तेरे प्यार ने निखारा है मुझ को,तेरे
मुबारकबाद से हर रंग सजा है मुझ पर...अब यह ना कहो कि रब ने फुर्सत से बनाया है तुम को...
इस लहजे को मुबारकबाद कहू या इन्ही लफ्ज़ो पे फ़िदा हो जाऊ....निखारा है रूप किस ज़न्नत की
परी ने आ कर,या खुदा ने फुर्सत से बनाया है तुम को....कोई नाज़ नहीं कोई नखरा भी नहीं,शर्म से
झुकती यह आंखे कह रही है बाते कई....जवाब बस एक रहा....तेरे प्यार ने निखारा है मुझ को,तेरे
मुबारकबाद से हर रंग सजा है मुझ पर...अब यह ना कहो कि रब ने फुर्सत से बनाया है तुम को...