Saturday 5 November 2016

हसरतो का ज़माना आया,तो उम्र ही निकल  गई ....पाँव मे पायल जो मिली तो पाँव की थकन से

यह जान ही निकल गई...कंगन का तोहफा जो पाया हम ने,बेताबी से रिश्तो की वो खनक ही

छूट गई..सहमे सहमे से जो मिले तो आँखों से आंसुओ की वो धार बह गई..अब यह आलम है

कि मुहब्बत है चारो तरफ पर मुकद्दर की वो लकीर ही हाथो से मिट गई...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...