हसरतो का ज़माना आया,तो उम्र ही निकल गई ....पाँव मे पायल जो मिली तो पाँव की थकन से
यह जान ही निकल गई...कंगन का तोहफा जो पाया हम ने,बेताबी से रिश्तो की वो खनक ही
छूट गई..सहमे सहमे से जो मिले तो आँखों से आंसुओ की वो धार बह गई..अब यह आलम है
कि मुहब्बत है चारो तरफ पर मुकद्दर की वो लकीर ही हाथो से मिट गई...
यह जान ही निकल गई...कंगन का तोहफा जो पाया हम ने,बेताबी से रिश्तो की वो खनक ही
छूट गई..सहमे सहमे से जो मिले तो आँखों से आंसुओ की वो धार बह गई..अब यह आलम है
कि मुहब्बत है चारो तरफ पर मुकद्दर की वो लकीर ही हाथो से मिट गई...