कही किसी की दुआ थी..तो कही कोई किसी का खवाब ----नज़र भर देखने के लिए तरसती रही कही
कोई ज़िन्दगी की उदास शाम ---पलके जो भीगी तो बस भीगती चली गई,कुछ अधूरे जज्बात तो कही
अधूरे से ख़यालात ----सोचा क़ि कभी पूछे किसी से,अधूरे खवाबो के साथ यह ज़िन्दगी है कैसी ---खुद
को जो टटोला तो जाना क़ि ज़िन्दगी किसी के प्यार के बिना----है कितनी अधूरी कितनी बेमानी -----
कोई ज़िन्दगी की उदास शाम ---पलके जो भीगी तो बस भीगती चली गई,कुछ अधूरे जज्बात तो कही
अधूरे से ख़यालात ----सोचा क़ि कभी पूछे किसी से,अधूरे खवाबो के साथ यह ज़िन्दगी है कैसी ---खुद
को जो टटोला तो जाना क़ि ज़िन्दगी किसी के प्यार के बिना----है कितनी अधूरी कितनी बेमानी -----