Friday 11 November 2016

आसमाँ मे उड़ने लगे तो ख्याल आया, कि ज़मी तो अपनी है--उसी ज़मी पे एक मेहरबाँ हमारा भी

है---दौलत मिली शोहरत मिली..सपने आँखों मे हज़ारो लिए...ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिली--लोग

कहते है किस्मत हमारी बुलंद है...सितारों से झिलमिल, दामन मे लिपटी हर दुआ हमारे संग है----

किस से कहे,कैसे कहे...दुखो का रेला भी साथ चलता है मेरे...यह बात और है कि रखते है याद कि

ज़मी पे एक मेहरबा हमारी इंतज़ार मे है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...