Friday 11 November 2016

यूं तो रात गुजर ही गई तन्हाई मे.....सपने हज़ारो देख डालें,अधखुली इन आँखों से....उठे सुबह तो

नम थी यह आंखे... आईना जो देखा खुद पे प्यार आ गया...यह सोच कर क़ि आज भी तू ही रहता

है मेरी रातो की तन्हाई मे....यह जिस्म,यह जान ..आज भी है तेरे कदमो क़ी परछाई मे...दुनिया

रहे या न रहे..हम तुम आज भी है...सपनो क़ी उन्ही गहराई मे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...