समंदर की लहरो को जो छुआ आज हम ने...तो आँखों से आंसू क्यों बह निकले---खुद को भिगोया जो
पानी मे,क्यों तेरी यादो के अंकुर फिर फूटे इन्ही आँखों से----दुनिया समझती है कि तेरी जुदाई को कबूल
कर लिया है मैंने---तेरी यादो से परे,जीना भी सीख़ लिया है मैंने---अक्सर तन्हाई मे दुनिया की कहानी
पे गौर करते है..कफ़न बांध कर सर पे क्यों ज़िन्दगी को हँस कर जिया करते है----
पानी मे,क्यों तेरी यादो के अंकुर फिर फूटे इन्ही आँखों से----दुनिया समझती है कि तेरी जुदाई को कबूल
कर लिया है मैंने---तेरी यादो से परे,जीना भी सीख़ लिया है मैंने---अक्सर तन्हाई मे दुनिया की कहानी
पे गौर करते है..कफ़न बांध कर सर पे क्यों ज़िन्दगी को हँस कर जिया करते है----