Wednesday 16 November 2016

समंदर की लहरो को जो छुआ आज हम ने...तो आँखों से आंसू क्यों  बह निकले---खुद को भिगोया जो

पानी मे,क्यों तेरी यादो के अंकुर फिर फूटे इन्ही आँखों से----दुनिया समझती है कि तेरी जुदाई को कबूल

कर लिया है मैंने---तेरी यादो से परे,जीना भी सीख़ लिया है मैंने---अक्सर तन्हाई मे दुनिया की कहानी

पे गौर करते है..कफ़न बांध कर सर पे क्यों ज़िन्दगी को हँस कर जिया करते है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...