मंज़िल न मिली..न मिला राहे-कदम-----लेती रही यह ज़िन्दगी मेरे इम्तिहाँ हर बरस,हर तरफ----
कभी रही नमी इन आँखों मे..कभी ज़ख़्म हुए नासूर,किन्ही बातो से----चलना तो था फिर भी इन्ही
राहो पे,सो मुस्कुराते रहें बेवजह .....बेवजह सी बातो पे----टूटते रहें सपने,टूटी हर आशा..टूट गया
हर रिश्ता..हर नाता...ज़िंदा है आज भी खुदा की रहमत से..बस फर्क है अब इतना कि मुकम्मल तो
जहाँ नहीं मेरा--पर दिल तो ज़िंदा है शायद चारो तरफ ------
कभी रही नमी इन आँखों मे..कभी ज़ख़्म हुए नासूर,किन्ही बातो से----चलना तो था फिर भी इन्ही
राहो पे,सो मुस्कुराते रहें बेवजह .....बेवजह सी बातो पे----टूटते रहें सपने,टूटी हर आशा..टूट गया
हर रिश्ता..हर नाता...ज़िंदा है आज भी खुदा की रहमत से..बस फर्क है अब इतना कि मुकम्मल तो
जहाँ नहीं मेरा--पर दिल तो ज़िंदा है शायद चारो तरफ ------