इक दिन और गुजरा इस ज़िन्दगी का... ऐ खुदा तेरे सज़दे मे हम फिर से झुक गए---अब मिले गा
कौन सा गम,तेरे कदमो मे भीगी पलकों से, यह सवाल फिर से पूछ लिया---चलना है अभी और कितना,
बेबसी मे तनहा सा यह हिसाब क्यों मांग लिया तुझ से----जाना तो है इक दिन इस दुनिया से,फिर ना
जाने क्यों तेरी इबादत मे....बुझे मन से उस दिन का नाम क्यों पूछ लिया---
कौन सा गम,तेरे कदमो मे भीगी पलकों से, यह सवाल फिर से पूछ लिया---चलना है अभी और कितना,
बेबसी मे तनहा सा यह हिसाब क्यों मांग लिया तुझ से----जाना तो है इक दिन इस दुनिया से,फिर ना
जाने क्यों तेरी इबादत मे....बुझे मन से उस दिन का नाम क्यों पूछ लिया---